
गर्व और कृति खाना खाने से मना कर देते हैं. वह लोग कहने लगते हैं कि प्रतिज्ञा क्यों जिंदा है. आदर्श कहने लगते हैं कि पहले उनको खाना खा लेना चाहिए.
सुमित्रा केसर को लेकर आती है और कहने लगती है कि वह लोग उधर उनको लाए हैं बच्चों का ध्यान रखने के लिए. वह सावधान कर देती है ताकि केसर प्रतिज्ञा को मदद ना करें.
सज्जन कहने लगते हैं कि वह कब तक धमका कर रखेंगे सभी को उनको कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा प्रतिज्ञा को घर से बाहर निकालने के लिए.
कृष्णा मीरा को थैंक यू कहते हैं क्योंकि उन्होंने परमिशन दिया है प्रतिज्ञा को उस घर में रखने की. मीरा अपने सर रखते हैं कृष्णा के कंधों में और कहते हैं कि वह उनके बीवी है और वह हमेशा उनको सपोर्ट करेगी.
मीरा कहती है कृष्णा से कि उन दोनों को कहीं दूर घूमने जाना चाहिए. वह देखती है कि कृष्णा अलग चिंता और भावनाओं में खोया हुआ है.
मीरा पूछती है कि वह किस बारे में इतना सोच रहे हैं तो कृष्णा कहते हैं कि वह सोच रहे हैं कि कौन है जो मारना चाहते हैं प्रतिज्ञा को.
कृष्णा कहते हैं कि यह पहली बार नहीं है कि प्रतिज्ञा के ऊपर हमला हुआ है पर ऊपर वाले का शुक्र है कि वह हमेशा उनके पास थे.
यह सब बातें सुनकर मीरा तोड़ा चीर जाती है और दुखी हो जाती है कृष्णा मीरा को सुलाते हैं और प्रतिज्ञा के पास जाते हैं.
कृष्णा प्रतिज्ञा के रूम में आते हैं और देखते हैं कोई नहीं है वह डर जाते हैं. बाद में वह देखती है कि प्रतिज्ञा बालकनी में खड़ी है.
वह पूछते हैं प्रतिज्ञा को सो जाने के लिए क्योंकि उनका तबीयत अभी भी खराब है. कृष्णा कहते हैं प्रतिज्ञा से और सर नहीं बुलाने के लिए क्योंकि वह उनके साथ काम नहीं करते.
कृष्णा को प्रतिज्ञा कृष्णा जी कहकर बुलाने लगती है. कृष्णा कहते हैं बहुत देर हो गया है उन लोगों को सो जाना चाहिए और उधर से निकलने जाते हैं.
पीछे से प्रतिज्ञा बुलाती है कृष्णा कहकर और कृष्णा पीछे मुड़ते हैं प्रतिज्ञा जाकर गले लगाती है कृष्णा को. यह देखकर मिला बहुत दुखी हो जाते हैं.
सुबह सबका नींद टूटता है प्रतिज्ञा के पूजा के आवाज से. कृष्णा बहुत खुश हो जाता है इस प्रतिज्ञा सभी को प्रसाद देने लगती है.
कृष्णा प्रसाद लेता है पर कोई और प्रसाद लेने से मना कर देता है. कृष्णा सभी को कहते हैं प्रसाद लेने के लिए बाद में सभी प्रसाद लेते हैं.
आदर्श पूछने लगते हैं सज्जन को कि वह क्यों इतना चिंता करते हैं प्रतिज्ञा को लेकर.
सज्जन सिंह कहने लगते हैं जब शत्रु वापस आता है तो वह साफ हो जाता है. सज्जन कहते हैं अदर से कि अभी भी डिवोर्स नहीं हुआ है प्रतिज्ञा और कृष्णा का.
और अगर प्रतिज्ञा ने लीगल तरीके से कुछ करने की कोशिश की तो बहुत बड़ी मुसीबत हो सकता है उनके लिए. आदर्श कहता है कि वह भी एक बहुत अच्छा लगा रहे.
वह कहते हैं कि वह भी पेपर बनाएंगे ताकि प्रतिज्ञा और कृष्णा के एक सिग्नेचर से दोनों का डिवोर्स हो जाए. सज्जन सिंह सुमित्रा को उनका प्लान बताते हैं.
उधर प्रतिज्ञा रसोई में खाना बनाने जाती है और मीरा देखती है मीरा जाकर कहती है उनसे उन्होंने उनको उस घर में रहने का परमिशन दिया है इसका मतलब यह नहीं कि वह कुछ भी कर सकते हैं.
आप के लिये :
कृष्णा आ जाते हैं और सोचते हैं कि वह दोनों झगड़ा कर रहे फिर से कृष्ण कहते हैं कि प्रतिज्ञा को यह सब करने की जरूरत नहीं है सब संभाल लेगी मेरा.
प्रतिज्ञा को अपने साथ लेकर निकल जाते हैं रसोई से कृष्णा यह देख कर चौक जाते हैं मेरा. कृष्णा कहने लगते हैं प्रतिज्ञा को कि उन्होंने जो आईडिया दिया था होटल के बारे में वह बहुत अच्छा चल रहा है.
मीरा को तभी एक आईडिया आती है. वह कृष्णा और प्रतिज्ञा के पास जाती है और कहने लगती है कि उन्होंने उनका मांग भरना भूल गया है और कृष्णा को कहते हैं भरने के लिए.
वह प्रतिज्ञा से कहती है मंदिर से सिंदूर लेकर आने के लिए. प्रतिज्ञा को दुख पहुंचती है और वह रोने लगती है. सुमित्रा शाबाशी देती है मीरा को क्योंकि उन्होंने सबक सिखाया है प्रतिज्ञा को.